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गढ़वाल की एक सर्द रात

गढ़वाल की एक सर्द रात गढ़वाल की इस सर्द रात में, चीड़, चिनार और बुरांश के पेड़ों के सूखे पत्ते जैसे एक पुरानी किताब के पन्नों से गिरते हैं। उनमें बसी कहानियां आज भी हवा के साथ बहती हैं, बादशाहीथॉल के S.R.T. कैंपस के आंगन से लेकर, चंबा की पगडंडियों पर चलती हुई, रानीचौरी के सेब के बगीचों तक जाती हैं। वो पहाड़ी ढलानों पर गाय चराते ग्वाले, जिनकी कंधों पर पड़ी रुमालों में बंधे जीवन के पल थे, जैसे मेरे अपने भी कुछ पल वहीं रह गए। शिक्षा स्नातक की वो क्लास, जहां मैंने किताबों से ज्यादा इन पहाड़ों के सादे और सच्चे लोग पढ़े। हॉस्टल की मेस की टेबल पर वो किस्से, जहां हर चाय की प्याली के साथ कुछ सपनों का जिक्र होता, और कुछ खामोशियां भी पिघलती थीं। वो एक साल का समय, जो मेरे जीवन का आधा हिस्सा बनकर, यहीं कहीं छूट गया है। पचीस साल बाद भी, वो सर्दियाँ अब भी मेरी यादों में बसी हैं। वो चट्टानों पर उकेरे हुए पल, जिन्हें समय की सर्द रात भी धूमिल नहीं कर पाई। तेरी यादें जैसे ठंडी हवा की तरह, अब भी मेरी रूह में बहती हैं। गढ़वाल की इस सर्द रात में, वो सब कुछ जैसे वहीं है, मेरे अंदर, और इस पहाड़ के हर कोने में

हिंदी है तो हम हैं - नवल

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हिंदी है तो हम हैं -कविता, नवल   🎵🎶 (सुनने के लिए 👆 clik करें )    विद्यालय पुस्तकालय में विद्यार्थियों के साथ हिंदी है तो हम हैं .................... नवल जाणी  .................... हिंदी है तो हम हैं हिंदी है तो सपने, हिंदी में कहें दिल की  सारे बातें अपनी। हम सबका गौरव है हिंदी इसमें बसी हर खुशी है, मिट्टी की खुशबू बसी है हम सबकी जान है हिंदी। हमारी पहचान ये भाषा है हर दिल में इसका वास है, देती ये हमें जुनून व जोश है हिंदी से ही सब कोई खास है। भाषाओं के शीर्ष पर बैठी मेरी प्यारी हिन्दी भाषा, हर दिल की है ये आवाज़ हिन्दी से है सब का नाता। हर गली हर शहर में हिन्दी बोलें हम मिलके, हिन्दी की मिठास में खो जाएं हर शब्द में हम गीत गाएं। हर दिल की आवाज़ हो तुम हर लब की मिठास हो तुम, गूँजती है हर गीत में हर कहानी का रस हो तुम। तुमसे धड़कन है दिल की तुमसे पहचान है अपनी, हर द्वार पे दस्तक देती हर मन में तुम बसी हो। हर अक्षर में मिठास हर शब्द में जोश, कहानी की गहराई में छिपी है खुशियों का होश। सरल शब्दों की प्यारी मिठास दिल की गहराईयों की बात, गीतों में वो रस बरसाए हिंदी है तो सबक

हिये रो प्रेम

म्हारे हिये में प्रेम री जिग्या नित खाली रहेला. सिर्फ थारो ही हक़ है उण पर इण जुग सूं आगले जुग तांई. @नवल जाणी 

ग्राम्य जीवन व मानसिक शांति

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  Photo: 07:09:18 AM 17/02/2019  vivo mobile camera  Dablisara, India  Photo Click by: Naval Jani सुर्य के उदित होते समय लालिमा लिए हुए आसमान जैसे किसी ने गेरू से पोत दिया हो विशाल छत को, लाली भरे आकाश में समुद्री नाव की तरह तैर रहे मेघ, रात व दिन में बढ़ता तापांतर, दिन में तेज धूप व गर्मी, रात में गुलाबी ठंड, पेड़ पौधो के झुरमुट में पक्षियों की चहचहाहट, सुबह-सुबह मोरों का झुंड दाना-पानी के लिए आ जाता है, गांव में चारों ओर धोरों,पेड़-पौधो, वन्य प्राणियों से घिरे ढाणी में रहना कितना सुकून व आनंद देता है वह तो केवल रहने वाला ही जानता है. ताजा व शुद्ध हवा की शीतल बहार, चारों तरफ फूलों से लदे रोहिडे़ के वृक्ष, शमी के बड़े-बड़े वृक्ष,कुलांचे भरते हिरण, छुप कर दौड़ते खरगोश आदि दृश्य को देखना मैं गोवा के समुद्र किनारे, थाईलैंड के रोमांस व स्विट्ज़रलैण्ड की वादियों से कम नहीं मानता...   (आज हम देखते है कि हर मनुष्य भागदौड़ भरी जिंदगी जी रहा है, किसी के पास दूसरों के लिए क्या अपने लिए भी फुर्सत के क्षण नहीं है. हर कोई दूसरों से आगे निकलने की होड़ में स्वयं को भूल रहा है. हमें एक महत

दूर कहीं है रोशनी / नवल

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दूर कहीं है रोशनी / नवल ::::::::::::::::::::::::::: चारों तरफ है अंधेरा जाना चाहता हूँ मैं प्रकाश की ओर, जो है दूर बहुत एक कोने में डरा हुआ, सहमा हुआ-सा. वहाँ है प्रकाश की एक किरण सदियों से रहा मैं घने अँधेरे में, फिर भी हिम्मत नहीं है जाने की आशा भरी प्रकाश की किरण में. ऐसा नहीं है कि मैं नहीं जाना चाहता उज्ज्वलता भरी रोशनी में, मन करता है कि मैं जाऊं तसल्ली से बैठ रोशनी में. नहाऊं नर्म व मुलायम किरणों में पर शतकों बाधाएँ व रूकावटें है जिनके जो जाना चाहता है, प्रकाश में और कर लेना चाहता धवल रोशनी से एकाकार. स्वयं व आने वाली पीढ़ियों का भविष्य उज्ज्वल व बढ़ना चाहता है, आगे ही आगे, छू लेने आसमान को पैदा नहीं करता और कोई ये बाधाएँ . मानव ही परस्पर हाथ थामने की जगह दूसरे का पैर खींचने में लगा हुआ है, कोई चाह कर भी नहीं जा सकता इस रोशनी भरे उज्ज्वल संसार में. बातें खूब होती, खूब लगते नारे कि साथ दो हमारा, हम कर देंगे वारे न्यारे, मानव व मानवता का विकास करेंगे सबको देंगे उज्ज्वल रोशनी. घनघोर अँधेरे से दिलाएंगे निजात चारों ओर फैलाई जाएगी दूधिया रोश

तेरा आना / नवल

#तेरा_आना / नवल तेरा मेरा अगाध और अथाह प्रेम है जो भी तुम कहोगी सहर्ष स्वीकार मुझे है है विश्वास कि तुम आओगी जरूर तेरी आँखों को उस वक्त पढ़ ली थी मैंने. तुम यह कभी न कहना कि तुम इसलिये नहीं आई क्योंकि तुम आना ही नहीं चाहती थी . तुम ये कहना कि तुम आ नहीं पाई, क्योंकि रास्तों ने तुम्हें रस्ता नहीं दिया. तुम कहना कि आज धूप बड़ी तेज थी, तुम कह देना कि लू और आँधी भी कम न थी. तुम बस कह देना मैं मान लूँगा कि फूल काँटे बन गए घटा शोले बरसाने लगी जंगल के सारे पेड़ सामने हो गए हो मानो सावन-भादो की बहार ने रोक लिया हो भौंरे और तितलियों ने रस्ता रोक लिया मैं दुनिया क़ी हर ताकत से लड़-भिड़ लूंगा वज्र-सा कठोर सुन कर सह लुंगा तुम यह कभी न कहना कि तुम इसलिये नहीं आई क्योंकि तुम आना ही नहीं चाहती थी इन शब्दों को न सुन पाऊंगा मैं.      ~नवल

मिलन / नवल

#मिलन / #नवल तुमसे मिलकर यों बातें कर कर, होती है हर रात पूर्णिमा खनक तेरी चूड़ियों की हमनें रोज ही सुनी पास तुझको लाने में कामयाब हम आज हुए हैं। चाहतें मेरी बस तेरे लिए हैं यह समझो जरा। रहों साथ में हमेशा अब तुम, ये वादा मैं सिर्फ तेरा। #मैं_तुम_तुम_हम @नवल