क्षणिकता और स्थायित्व
क्षणिकता और स्थायित्व (In the millet field) फूलों के बीच खड़ा एक पत्ता मुझे हमेशा यह सिखाता है कि निकटता का अर्थ अपनापन नहीं होता। फूलों की चमक और सुगंध मोहक ज़रूर है, पर वह क्षणिक है, उतनी ही क्षणिक जितनी किसी उत्सव की रोशनी। पत्ता जानता है कि उसका जीवन किसी और की आभा पर नहीं टिका, बल्कि उस गहरी मिट्टी पर टिका है, जहाँ से उसकी हरियाली जन्म लेती है। यही कारण है कि फूल के झर जाने पर भी उसकी हरियाली बनी रहती है, क्योंकि उसका संबंध क्षणभंगुर शोभा से नहीं, बल्कि वृक्ष की जड़ों से है। मुझे लगता है जीवन भी ऐसा ही है। दूसरों की निकटता से मिलने वाला गौरव टिकाऊ नहीं होता। जो टिकता है, वह है हमारी अपनी पहचान, हमारे भीतर का सत्य, वह नमी जो हमें जड़ों से जोड़ती है। शायद आत्मसम्मान का सबसे बड़ा रूप यही है—भीड़ के बीच रहते हुए भी अपने हरेपन को बचाए रखना। ~Naval Jani