मेरी चुप्पी -(अनकही बातें)
मेरी चुप्पी -कविता
(अनकही बातें -काव्य संग्रह)
कवि : नवल जाणी
भावार्थ:
इस कविता में कवि ने "चुप्पी" को एक गहरे भाव और आत्मसंयम के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। वे कहते है कि उन्होंने चुप रहना सीख लिया है, ठीक वैसे ही जैसे समुद्र अपनी गहराइयों में कई रहस्य छुपा कर रखता है। यह चुप्पी किसी कमजोरी का परिणाम नहीं, बल्कि एक समझदारी और आत्मनियंत्रण की अभिव्यक्ति है।
कवि कहते हैं कि वह देखता, सुनता और समझता भी है, परंतु अपने शब्दों को तालों में बंद कर देता है क्योंकि हर सत्य हर किसी के लिए नहीं होता। यह संकेत करते है कि सभी लोग सत्य को ग्रहण करने की क्षमता नहीं रखते और हर बात सबके सामने कह देना उचित नहीं होता।
कवि यह भी जानते हैं कि कौन व्यक्ति कितना गहरा है और कौन केवल सतह पर तैरता हुआ दिखावा कर रहा है। यानी, वे लोगों की गहराई, सच्चाई और उनके दिखावे को पहचानते हैं।
अंत में वे स्पष्ट करते हैं कि उनकी चुप्पी कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह एक इंतज़ार है — उस क्षण का जब वक़्त के पानी का बहाव थोड़ा ठहर जाए, और सच्चाई को समझने योग्य माहौल बन जाए।
कविता "मेरी चुप्पी" आत्मसंयम, समझदारी, आंतरिक गहराई और सही समय की प्रतीक्षा को दर्शाती है। यह बताती है कि चुप रहना हमेशा दुर्बलता नहीं, बल्कि एक परिपक्व सोच का परिणाम भी हो सकता है।
#navaljani
शानदार
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