शांगढ़ यात्रा : धरती का स्वर्ग
शांगढ़ यात्रा: जब लगा कि स्वर्ग धरती पर ही है
“यदि हिमाचल में ही ऐसी अनुपम शोभा है, तो फिर पहलगाम क्यों जाया जाए?”
यही विचार मन में तब उदित हुआ जब मैंने पहली बार शांगढ़ के धरातल पर कदम रखा।
प्रकृति की गोद में बसा, शांगढ़ नामक यह छोटा-सा ग्राम हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जनपद की सैंज घाटी में स्थित है। यह स्थान अभी तक भीड़-भाड़ से अछूता है, और अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ एक शांत, निर्विकार जीवन का अनुभव कराता है।
प्रवेश – हरित मैदानों की गोद में
शांगढ़ पहुँचते ही सबसे पहले मन को मोह लेता है एक विशाल हरा मैदान – जिसे स्थानीय लोग शांगढ़ मीडोज़ कहते हैं। यह भूमि केवल देखने में रमणीय नहीं, अपितु स्थानीय निवासियों के लिए पवित्र भी मानी जाती है।
मैदान के किनारे स्थित है शांगचुल महादेव का प्राचीन मंदिर, जिसकी लकड़ी और पत्थर से बनी सुंदर नक्काशी इसकी सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाती है। वहां खड़े होकर चारों ओर फैले देवदार के वन, शुद्ध वायु और नीरव वातावरण आत्मा को विशेष शांति प्रदान करते हैं।
प्रकृति प्रेमियों हेतु – ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क
यहाँ से समीप ही स्थित है ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार – जो कि विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्य है। यदि आप वन्य जीवन, पक्षियों की चहचहाहट और शांत प्राकृतिक पगडंडियों के प्रेमी हैं, तो यह स्थान आपके लिए अत्यंत उपयुक्त सिद्ध होगा।
शांगढ़ क्यों विशिष्ट है?
यहाँ का वातावरण न केवल शुद्ध है, अपितु आत्म-संवाद हेतु प्रेरणास्पद भी है।
जीवन की गति धीमी अवश्य है, परन्तु उसमें सरलता और आत्मीयता की मिठास है।
स्थानीय संस्कृति, परंपराएं और लोक-भोजन, इस स्थान को आत्मीय अनुभव प्रदान करने योग्य बनाते हैं।
यहाँ ठहरने हेतु कुछ घरेलू आवास (होमस्टे) और अतिथि-गृह उपलब्ध हैं, जहाँ स्थानीय व्यंजन जैसे सिद्दू, भेले चावल, मदरा आदि का स्वाद लिया जा सकता है।
शांगढ़ कैसे पहुँचे?
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा भुंतर, जो लगभग 45-50 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग: निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन चंडीगढ़ है, वहाँ से कुल्लू तक सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: कुल्लू से सैंज तक बस या टैक्सी द्वारा, तत्पश्चात शांगढ़ के लिए छोटी दूरी पैदल अथवा टैक्सी से तय करनी पड़ सकती है।
यात्रा का उपयुक्त समय –
वसंत व ग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून) तथा
शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर) शांगढ़ की यात्रा के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
शीत ऋतु में (दिसंबर से फरवरी) यहाँ हिमपात होता है, जिससे इसकी शोभा और भी रमणीय हो जाती है।
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शांगढ़ केवल एक पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि आत्मा को स्पर्श करने वाला अनुभव है।
यहाँ के शांत वातावरण में आत्म-चिंतन की संभावना है, और जीवन के वास्तविक अर्थ को समझने का अवसर भी।
अतः अगली बार जब मन पहाड़ों की ओर भागे, तो शांगढ़ को अपनी यात्रा-सूची में अवश्य स्थान दें।
संभव है, वहाँ जाकर आप स्वयं को पहले से अधिक निकट पाएँ।
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नवल जाणी
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