सावन आया /नवल जाणी
सावन आया / नवल जाणी
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चाँदनी का रेत पर उतरना,
ओस कणों का मुस्करा कर
धवल मोतियों-सा निखरना,
प्रिया संग बीते लम्हों की याद आती है.
कोयल गाए मेघ मल्हार,
बादल की शीतल रिमझिम फुहार,
खेतों में चली यौवन-सी बहार,
मेघों की भ्रमर-सी काली घटा घिर आती है.
सावन आया, सावन आया...
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