कुण कैवे तू है अेकलो? (राजस्थानी कविता) - नवल जाणी

'कुण कैवे तू है अेकलो?'
(राजस्थानी कविता)
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नवल जाणी
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पास थांरै लाग्यां मेळो
कुण कैवे तू है अेकलो?
नन्हीं-सी जिन्दगाणी मांय
घणी ही अबकायां झेळी..
ओस कणों सूँ परभात थानै
सदा ही मुळकणौ सिखावै,
लाली दैवण सूरज किरणों
हर रोज परभातै आवै..
तेज दैवण सूरज थानै
पास अपणै बुलावै.
शीतल बाजै वायरो
लै गोद मांय सुलावै..
सांझ बेळा री मनभावनी
रात थानै लोरी सुनावै.
परभातै री नि:छळ हांसी
थारै साथै गुनगणावै..
बेळा परभात-दिन-सांझ-दुपहर
अै अनूठा, संगळां प्यारा.
पछै कठै तू है अेकलो
साथै थारै बहोत सारा...
#नवल_जाणी

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